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पानी का महत्व

पानी का महत्व भारत के लिए कितना है यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता, हमने बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी हमें रुलाएगा, यह तय है। सोचो तो वह रोना कैसा होगा, जब हमारी आँखों में ही पानी नहीं रहेगा? वह दिन दूर नहीं, जब सारा पानी हमारी आँखों के सामने से बह जाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएँगे।

समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बूँद कीमती है। इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हज़ारों में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं। कहाँ गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता। नदियों की बात छोड़ दो, हमारे गाँव-मोहल्लों से तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है।

लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव ने जो प्रगति की है उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी ज़रूरी है। पिछले सालों में तमिलनाडु ने वर्षाजल संरक्षण कर जो मिसाल कायम की है उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है।
  
पानी का प्रबंधन नहीं कर पाना यानी आने वाली पीढ़ी के लिए सैकड़ों समस्याएं छोड़कर जाना। पानी के लिए हो रही इस फजीहत का कारण इतना ही है कि इसके प्रबंधन के लिए वाकई गंभीरता से कोई प्रयास किए ही नहीं जा रहे। यदि ऎसा होता तो सीमेंटेड सड़कें बनाने से पहले कई सवाल उठाए जाते। सड़कों के किनारे खड़े घने पेड़ों की विकास के नाम कटाई नहीं होती और घने छायादार पेड़ों की जगह रोपी गई झाडियों का हिसाब मांगा जाता। हमारे शहर के आसपास तालाबों के किनारों तक मकान नहीं बन जाते और न ही कई जगह उन पर कॉलोनी कट जाती। न पानी का प्रबंधन उन हाथों में होता, जो कुछ घरों में पानी पहुंचाने के लिए फिक्रमंद हैं। पानी बचाना है तो स्वार्थ से इतर सोचना पड़ेगा। जितना पानी हम जमीन से ले रहे हैं, उतना उसे वापस लौटाना होगा।

आखिर क्यों नहीं कर पा रहे हम पानी का प्रबंधन क्यों जरूरी है कि सरकार की तरफ से कानून जब तक नहीं आ जाता, हम उसका पालन नहीं करेंगे आखिर वो कौन-से उपाय हों, जिनसे जल प्रबंधन किया जा सके

लोगों ने अगले विश्वयुद्ध का कारण पानी होने की संभावना बताया है। जलसंकट की चुनौती का सामना करना किसी एक के बूते की बात नहीं है। इसके लिए प्रशासन, स्वयंसेवी संगठन, मीडिया आदि के समन्वित प्रयासों की जरूरत है। ये सारे प्रयास जो गर्मी आने पर किए जा रहे हैं, उन्हें पहले से लागू किया जाना चाहिए। अंतिम समय में सारे नियम-कायदे लागू करने का अर्थ यही है कि पूरे साल सरकार सो रही थी, जबकि हम देख रहे हैं कि हर साल बारिश से मिलने वाले पानी में लगातार कमी आ रही है। न तो लोग न ही सरकार इन सभी परेशानियों का हल ढूंढ़ रही है। न बारिश में हम पौधारोपण करते हैं न बारिश के पानी को सहेजते हैं। ऊपर से जंगल काट रहे हैं और सीमेंट की सड़कें बना रहे हैं। हमारे देश में एक व्यवस्थित तंत्र का न होना भी इसके लिए जिम्मेदार है।

हर साल जब गर्मियों में पानी के लिए परेशानी होती है तो सारा दोष सरकार पर मढ़ दिया जाता है कि हमें जो पानी तक न दे ऎसी सरकार का क्या फायदा, लेकिन इसके लिए हम खुद कोई पहल नहीं करते। जब पानी पर्याप्त आता है उस दौरान घंटों तक पानी बहते आसानी से देखा जा सकता है। लोगों के घरों में पानी की टोंटी नहीं होने के कारण देर तक पानी वैसे ही बहते रहता है। पानी कम मूल्य में मिल रहा है, इसीलिए हमें उसकी कद्र नहीं। इसके लिए कठोर कानून बनना चाहिए, जिससे फिजूल पानी बहाने वालों को कठोर सजा मिले, ताकि वे इसकी कीमत समझ सकें और आने वाली पीढियों के लिए कुछ छोड़कर जाएं।

दुनियाभर में जनसंख्या विस्फोट के कारण जल की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ा है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण, औद्योगीकरण और बदलते मौसम चक्र के कारण स्थितियां और भी बिगड़ती जा रही हैं। जल प्रबंधन से प्रेरित कुछ उपाय जो हम कर सकते हैं-

ग्रामीण, शहरी तथा नगरीय क्षेत्र में जल बचाओ समिति का गठन किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा राष्ट्रीय तथा प्रदेश स्तर पर जल प्रबंधन कानून बनाया जाए, जिससे जल का उचित प्रबंधन, जल उपयोग तथा भूजल संवर्धन कानून हो। व्यर्थ पानी बहाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। आसपास के कुएं-बावड़ी साफ कराएं। जिनमें पानी नहीं आता है, उन्हें रिचार्ज करवाकर ट्यूबवेल खुदवाएं। तालाब गहरीकरण और पोखरों में पानी इकट्ठा करवाने के प्रयास कराएं। गर्मी के दिनों में भवन निर्माण, नलकूप खनन व कुएं खुदवाने पर रोक लगाई जाए। ये कुछ ऎसे प्रयास हैं, जिनमें से ज्यादा से ज्यादा हम खुद अपने स्तर पर कर सकते हैं। हर चीज सरकार पर ढोलने के बजाय अपने स्तर पर किए जाने वाले प्रयास में तेजी लाना चाहिए। पानी के लिए गंभीरतापूर्वक प्रयास इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि इसके बिना जीवन कहां रहेगा। आने वाली पीढ़ी हमें बेपरवाह की संज्ञा न दे, इसलिए ये प्रयास और तेज कर देना चाहिए। 

आज कल पानी के सही उपयोग के बारे में काफ़ी बात चीत चल रही है। बढती जनसन्ख्या की बढती हुई जरूरतें और और भी अच्छी फ़सल पाने के लिये पानी का उपयोग किय जाता है। इस समस्या का हल करने के लिये सरकार बहुत ही तेज़ी से देश भर में सेंकडों बन्ध बनवा रही है। हमारे देश में हजारों नदियों हैं लेकिन हम इन सब के पानी का सही उपाय नही कर सकते है। अच्छे सोच विचार के साथ शायद हम उसका पूर्ण उपयोग कर सकते हैं।



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