शहरी
जीवनशैली में कंप्यूटर पर लगातार काम करने की बाध्यता और जरूरी सावधानियां नहीं
बरते जाने के कारण आजकल युवाओं में भी आंखों की समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही
हैं। हमारे लिए रोशनी का क्या महत्व है, यह हम सभी जानते हैं। इस रोशनी का अर्थ
हमें समझ में आता है हमारी आंखों से। यानी आंखें न हों तो इस खूबसूरत दुनिया को हम
देख नहीं सकते, प्रकृति के खूबसूरत नजारों का आनन्द नहीं उठा सकते। फिर भी हम अपनी
जीवनशैली में लापरवाही के कारण अपनी आंखों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कंप्यूटर, आई
पैड और आई फोन के अलावा ऐसे तमाम गैजेट्स हैं, जिनका लगातार इस्तेमाल हमारी आंखों
को नुकसान पहुंचा रहा है। आज जिस तेज गति से युवाओं की आंखों की समस्याएं बढ़ रही
हैं, उससे यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि आखिर कौन से कारण हैं, जो आंखों को
बीमार बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
कंप्यूटर
विजन सिंड्रोम
तेजी से बढ़ रही है यह तकलीफ और सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं बच्चे व युवा। कम रोशनी में पढ़ना और देर तक बिना ब्रेक के कंप्यूटर और लैपटॉप पर समय बिताने की आदतें इस समस्या के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां कंप्यूटर पर निर्भरता न हो। स्टूडेंट से लेकर इंजीनियर, सीए और क्लर्क तक का काम कंप्यूटर के बिना संभव नहीं रह गया है।
बचाव
के लिए क्या करें
- · कंप्यूटर से जुड़े रहने वालों को हर 20 मिनट में 20 सेकेंड के लिए 20 फिट दूर की चीज पर फोकस कर व्यायाम करना चाहिए।
- · कंप्यूटर पर काम करने वाले पलकें झपकाना भूल जाते हैं, इसलिए उन्हें बीच-बीच में पलकें झपका कर आंखों को विश्राम देना चाहिए।
- · सोने से पहले ठंडे पानी से आंखें धोएं।
- · कंप्यूटर डिवाइस का कंट्रास्ट व ब्राइटनेस लेवल सेट करें, जिससे आंखों पर तनाव न पड़े। मल्टीलेयर कवर और कंप्यूटर ग्लास भी फिट करवा सकते हैं।
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