परिवारों का टूटना आज की एक वलंत समस्या है, जिसका हल ढूंढा जाना जरूरी है। दरअसल आज एकल परिवारों में ढेरों सुख-सुविधाओं के बीच पलने वाले बच्चों में सहयोग और समर्पण आदि मूलभूत गुणों का अकसर अभाव होता है। हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें और उन्हें सामाजिक बनाएं तभी परिवारों का टूटना रुक सकता है। परिवार न टूटें इसके लिए बचपन से ही बच्चों में विनम्रता व सहनशीलता जैसे गुणों का विकास किया जाना चाहिए।
आज के आधुनिक युग में तेजी से परिवार टूट रहे हैं। इसके मुख्य कारण हैं- स्त्रियों का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना, एकल परिवार, आपसी समझ की कमी व एक-दूसरे के लिए समय का अभाव। आजकल यादातर स्त्रियां भी कामकाजी होती हैं। अपने करियर व अहं को ऊपर रखते हुए पति-पत्नी में से कोई भी परिवार बचाने के लिए समझौता नहीं करना चाहता और नौबत तलाक तक पहुंच जाती है। दोनों में से किसी का भी ध्यान इस तरफ नहीं जाता कि उनके अहं की लडाई में उनके मासूम बच्चे का बचपन दम तोड रहा है। बच्चों के बचपन को खिलने से पहले ही मुरझाने की सजा क्यों मिल रही है? ऐसे टूटे परिवारों के बच्चे समाज और देश का निर्माण कैसे करेंगे यह एक विचारणीय प्रश्न है।
पहले संयुक्त परिवार होते थे, जहां सभी सदस्य साथ मिल-जुलकर प्रेम से रहते थे। लेकिन आज के दौर में यादातर एकल परिवार रह गए हैं। जहां पति-पत्नी दोनों कामकाजी होते हैं। ऐसे माहौल में बच्चे स्वयं को उपेक्षित महसूस करने लगे हैं। आज पति-पत्नी के बीच पारस्परिक निर्भरता भी कम होती जा रही है, जिसके कारण उनके रिश्ते में दरार आ रही है। ऑफिस में यादा काम होने की वजह से वे एक-दूसरे को भी समय नहीं दे पाते। ऐसे में लोग परिवार व काम के बीच संतुलन नहीं बना पाते। पति-पत्नी के संबंधों में दूरी तभी आती है, जब उनके बीच विश्वास, समर्पण व निष्ठा में कमी आने लगती है। अगर पति-पत्नी दोनों घर और बाहर की जिम्मेदारी मिल कर उठाएं तथा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के बजाय आत्म मूल्यांकन करें, तो उनके बीच तनाव कम होगा और उनका दांपत्य जीवन भी सुखी रहेगा।
आज परिवार के सदस्यों को भूल कर हर इंसान केवल अपने बारे में सोचता है। ऐसे में परिवार का टूटना स्वाभाविक है। यह समस्या वास्तव में गंभीर रूप धारण करती जा रही है। पति-पत्नी के आपसी सहयोग के बिना दांपत्य जीवन की गाडी का चलना संभव नहीं है। पति-पत्नी को एक-दूसरे की रुचियों का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर परिवार में पति-पत्नी के बीच तू-तू, मैं-मैं के बजाय हम की भावना हो तो परिवार को टूटने से आसानी से बचाया जा सकता है।
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